विश्व पादप स्वास्थ्य पर एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन

आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत सरसों अनुसन्धान निदेशालय ने 12 मई को पूरे विश्व में मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस (इंटरनेशनल डे ऑफ प्लांट हेल्थ) के अवसर पर एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. पी. के. राय ने इस दिन की महत्ता को बताते हुए कहा कि पौधों के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पौधों से ही हमें भोजन, आवास, वस्त्र, ईंधन एवं औषधियाँ प्राप्त होती है। लेकिन पिछले कुछ दशकों से जलवायु परिवर्तन तथा बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय आवागमन के कारण पादप रोगों के फैलने की आशंका बहुत बढ़ गयी है। इन्ही बातों को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मानाने का निर्णय लिया जिससे सभी नागरिकों में पौधों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैले और बढ़ती वैश्विक आबादी की जरूरतें पूरी हो सके । कार्यक्रम के मुख्य अथिति, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पादप रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर श्याम शरण वैश्य ने अपने व्याख्यान में पौधों में लगने वाली बीमारियों और उनके बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि विभिन्न बीमारियों के कारण विश्व के कृषि उत्पादों में लगभग 40 प्रतिशत की कमी हो जाती है। ये बीमारियाँ पौधों में लगाने वाली विभिन्न प्रकार की फफुँदियों, जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूत्रकृमियों के कारण होती है। इन रोग-कारकों को फैलने से बचाने के लिए पादप क्वेरेन्टाइन का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। सुदूर क्षेत्रों से लाये गए बीजों, गमलों एवं अन्य कृषि सम्बन्धी वस्तुओं साथ-साथ इन रोग-कारकों के सूक्ष्म बीजाणु भी नए स्थानों पर जाकर पादप रोगों को बढ़ाते हैं। इन सभी बातों का ध्यान रखने के साथ-साथ कृषि अनुसंधान द्वारा हम पौधों को स्वस्थ रख धरती पर अनेकों प्राणियों के जीवन की रक्षा कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य संस्थानों के श्रोताओं ने भी भाग लिया। डॉ. प्रशांत यादव ने सभी का आभार व्यक्त किया एवं कार्यक्रम का संचालन किया।
Date:2023-05-12 to 2023-05-12