Azadi ka Amrit Mahotsava :
Best Management Practices to improve Nutrient use Efficiency

आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 21 दिसम्बर को सरसों अनुसन्धान निदेशालय द्वारा उर्वरकों की उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिए उत्तम प्रबंधन उपाय विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया। इस दौरान भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के पूर्व निदेशक डॉ डी. एम. हेगडे ने भारत और विश्व में मृदा की उर्वरता और इसमें पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए बताया की भारत की लगभग 80 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि नत्रजन और फॉस्फोरस की कमी से ग्रसित है। इसके साथ-साथ हमारे देश के कई हिस्सों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी कमी पायी जाती है। ऐसी परिस्थिति में निरंतर बढ़ती जनसँख्या के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन करना एक चुनौती है। इस समस्या के समाधान के लिए टिकाऊ खेती की आवश्यकता है जिसे उर्वरकों के उत्तम प्रबंधन से ही किया जा सकता है। सरसों की फसल में उर्वरकों की उपयोग क्षमता पर शोध करने की आवश्यकता पर जोर देने के साथ-साथ उन्होंने इसके उपाय भी बताये। डॉ. हेगडे ने बताया कि मृदा प्रबंधन, फसल प्रबंधन एवं उर्वरक प्रबंधन द्वारा पर्यावरण अनुकूल टिकाऊ खेती की जा सकती है। उन्होंने उर्वरकों के प्रबंधन की क्षेत्रवार अनुशंसित तकनीकों का विकास करने पर जोर देते हुए कहा की सभी फसलों एवं सभी स्थानों के लिए एक ही प्रकार के उर्वरकों की सामान मात्रा अनुशंसित नहीं की जानी चाहिए। उर्वरकों के उत्तम प्रबंधन द्वारा फसलों में पोषण प्रबंधन के लिए उन्होंने सुझाव दिया की उर्वरकों का चुनाव फसल के अनुसार तथा उर्वरकों की मात्रा का निर्धारण मृदा परिक्षण के परिणामों के आधार पर कर उपयुक्त पोषक तत्वों का प्रबंधन किया जा सकता है। इससे कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के प्राफेसर सुरिंदर सिंह बंगा ने की। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ पी. के. राय ने किया। संस्थान में उपस्थित सभी वैज्ञानिकों ने प्रत्यक्ष रूप से एवं अन्य राज्यों के वैज्ञानिकों ने ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ वी.वी. सिंह ने किया।
Date:2021-12-21 to 2021-12-21